Monday, June 13, 2022

भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था लंका का निर्माण।



भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था लंका का निर्माण।

सोने की लंका के निर्माण के संबंध में एक कहानी है कि त्रिलोक विजेता बनने के बाद रावण के  मन में अपनी प्रतिष्ठा के अनुकूल ऐसे नगर के निर्माण का विचार आया जिसके आगे देवताओं  की अलकापुरी भी फीकी नजर आए। उसने शिव की आराधना कर उनसे सोने की लंका बनाने  में देवशिल्पी विश्वकर्मा का सहयोग मांगा।   

शिव के कहने पर विश्वकर्मा ने सोने की लंका का ऐसा प्रारूप बनाया जिसे देखते ही रावण की  बांछें खिल गईं। उसी के आधार पर बनी सोने की लंका की सुंदरता देखते ही बनती थी। रावण  लंका में आने वाले हर महत्वपूर्ण अतिथि को वहां के दर्शनीय स्थलों को बड़े गर्व के साथ  दिखाता।    ऐसे ही एक बार वह बड़े-बड़े ऋषि-मुनियों को लंका का भ्रमण करा रहा था। वे भी लंका का  सौंदर्य देखकर अचंभित थे। इस बीच रास्ते में मिलने वाले लंकावासी रावण को देखकर भय से  नतमस्तक हो जाते, लेकिन अतिथियों का कोई अभिवादन नहीं करता। ऐसा ही व्यवहार रावण  के मंत्रियों, सैनिकों और कर्मचारियों ने भी किया।   

भ्रमण समाप्ति पर रावण ने ऋषियों से पूछा- ‘आपको हमारी लंका कैसी लगी?’    एक महर्षि बोले- ‘लंका तो अद्भुत है लंकेश लेकिन यह शीघ्र ही नष्ट हो जाएगी, क्योंकि आपने  लंका के सौंदर्य और सुरक्षा के लिए तो बहुत कुछ किया है, लेकिन इसके स्थायित्व के लिए  कुछ भी नहीं। जहां के निवासियों के मुख पर प्रसन्नता की जगह भय के भाव हों और जिनमें  सदाचार का अभाव हो, वह नगर समय के साथ नष्ट हो जाता है।’ 

विश्वकर्मा जयंती पूजन विधि

आमतौर पर इस दिन दफ्तर और कारखानों में विशेष रूप से भगवान विश्वकर्मा का पूजन किया जाता है। इसके अलावा जो लोग इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चर, चित्रकारी, वेल्डिंग और मशीनों से जुड़े हुए काम करते हैं वे इस दिन को काफी धूमधाम से मनाते हैं। इस दिन कारखानों या कार्यस्थलों पर मशीनों, गाडि़यों, कंप्यूटर और लैपटॉप जैसे अन्य मशीनों की सफाई की जाती है और इसके बाद उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन प्रातकाल उठकर नित्यक्रिया से निवृत्त होकर स्नान करने के बाद पूजास्थल को साफ करें और भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

इसके बाद दीपक प्रज्जवलित करके पुष्प व अक्षत से भगवान का  पूजन करें। इसके पश्चात इस मंत्र का जाप करें, “ओम आधार शक्तये नम:, ओम कूर्माये नम:, ओम अन्नतम नम:, ओम पृतिव्यै नम:।” इस मंत्र के बाद अपनी मशीनों या औजारों की पूजा करके हवन करें और पूजन के बाद उनका इस्तेमाल न करें।

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